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Ek Din Zindagi Khub Fursat Mei Thi Humne Pucha Kesi Tapasya Kare (2)
Usne Hamse Kaha Khudka Kalyaan Kar (2) Raah Saiyam Ki Li Aur Hum Chal Pade(2)
Ek Din Zindagi Khub Fursat Mei Thi Humne Pucha Kesi Tapasya Kare (2)
Ab Kisi Se Nahi Koi Sikhwa Gila, Har Dishao Se Bulawa Mila (2)
Kaid Mei Saans Mei Thi Aaj Mukti Mili Ghar Jo Choda Duniya Ka Aangan Mila
Thi Samasya Hai Ziddi Toh Hum Bhi Adde, Raah Saiyam Ki Li Aur Hum Chal Pade(2)
Ek Din Zindagi Khub Fursat Mei Thi Humne Pucha Kesi Tapasya Kare (2)
Raah Sansaar Par Zndagi Thak Gai Roshni Ki Nayi Pyaas Tab Jag Gai (2)
Ek Aawaz Andar Ki Aisi Uthi, Aankh Mahaveer Charno Mei Tab Lag Gai
Jinshashan K Siddhant Sabse Bade Raah Saiyam Ki Li Aur Hum Chal Pade(2)
Ek Din Zindagi Khub Fursat Mei Thi Humne Pucha Kesi Tapasya Kare (2)
Jab Talak Aag Mein Koi Tapta Nahi Tab Talak Hoke Sona Nikharta Nahi (2)
Haath Maathe Par Rakh Kar Guru Ne Kaha Iss Disha Mei Suraj Dubta Nahi
Ab Guru Vruksh Ki Chaau Mei Hum Khade Raah Saiyam Ki Li Aur Hum Chal Pade(2)
Ek Din Zindagi Khub Fursat Mei Thi Humne Pucha Kesi Tapasya Kare
Usne Hamse Kaha Khudka Kalyaan Kar (2) Raah Saiyam Ki Li Aur Hum Chal Pade(2)
Ek Din Zindagi Khub Fursat Mei Thi, Humne Pucha Kesi Tapasya Kare (2)
एक दिन ज़िन्दगी खूब फुर्सत में थी हमने पूछा किसी तपस्या करे, (२) उसने हमसे कहा खुदका कल्याण कर, (२) राह सैयाम की ली और हम चल पड़े ,(२) एक दिन ज़िन्दगी खूब फुर्सत में थी हमने पूछा किसी तपस्या करे। (२) अब किसी से नहीं कोई सिखवा गिला, हर दिशाओ से बुलावा मिला, (२) कैद में सांस में थी आज मुक्ति मिली घर जो छोड़ा दुनिया का आँगन मिला, थी समस्या है ज़िद्दी तोह हम भी अड्डे, राह सैयाम की ली और हम चल पड़े,(२) एक दिन ज़िन्दगी खूब फुर्सत में थी हमने पूछा किसी तपस्या करे। (२) राह संसार पर ज़िन्दगी थक गई रौशनी की नयी प्यास तब जग गई, (२) एक आवाज़ अंदर की ऐसी उठी, आँख महावीर चरणों में तब लग गयी, जिनशासन क सिद्धांत सबसे बड़े राह सैयाम की ली और हम चल पड़े, एक दिन ज़िन्दगी खूब फुर्सत में थी हमने पूछा किसी तपस्या करे। (२) तब तलाक आग में कोई तप्त नहीं तब तलाक होक सोना निखरता नहीं, (२) हाथ माथे पर रख कर गुरु ने कहा इस दिशा में सूरज डूबता नहीं , अब गुरु वृक्ष चाउ में हम खड़े राह सैयाम की ली और हम चल पड़े, (२) एक दिन ज़िन्दगी खूब फुर्सत में थी हमने पूछा किसी तपस्या करे। उसने हमने कहा खुदका कल्याण कर, राह सैयाम की ली और हम चल पड़े (२) एक दिन ज़िन्दगी खूब फुर्सत में थी हमने पूछा किसी तपस्या करे। (२)
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