दोहा
जब जब बदले अधर्म कहीं, सब होवे धर्म से दूर
तब तब ईश्वर भेजते, अपना कोई दूत… गुरुजी… अपना कोई दूत…
धन्य भाग जागे कभी, आए हमारे द्वार,
धन्य हो पावन माटी, जहाँ बिराजे आप… गुरुजी… जहाँ बिराजे आप…
एक यात्रा शुरु हुई, आत्मा से परमात्मा की,
याद आ गई जैसे मुझे, बिछड़े घर आँगन की… गुरुजी…
बिछड़े घर आँगन की…
भूल गया निज आपको, भटक रहा संसार,
आया गुरु के चरण में, जान गया मैं सार… गुरुजी…
जान गया मैं सार…
गुरु संगत गुरु साधना, सब किस्मत का खेल,
जब हुई प्रभु की कृपा, हुआ आप से मेल… प्रभुजी..
हुआ आप से मेल..
क्यों भटका मैं आज तक, वक्त किया बरबाद,
शायद अब तक चल रहा कोई, पूर्व जन्म का पाप… गुरुजी…
पूर्व जनम का पाप…
देखूं गुरुवर तेज तुम्हारा, मुझे समझ ये आता है,
आतम से आतम का कोई, पूर्व जन्म का नाता है…
पूर्व जन्म का नाता है….
पारसधाम में बैठकर, करते जब हम ध्यान,
पार्श्व प्रभु जैसे दे रहे, हमको सम्यक् ज्ञान… प्रभुजी…
हमको सम्यक् ज्ञान…
आपका हर कर्म तीर्थ है, आपके कर्म महान,
लुक एन लोन बनाया गुरु ने, करने बाल कल्याण… गुरुजी…
करने बाल कल्याण…
गुरु सिखाए प्रभु साधना, उवसग्गहरं का जाप,
निर्मल हो जाता है मन, और मिटे सब पाप… गुरुजी….
और मिटे सब पाप…
अब मिला सच्चा रतन, अब मिला सच्चा ज्ञान,
गुरुकृपा से ही होगा, मेरा आत्म कल्याण… गुरुजी…
मेरा आत्म कल्याण…
जान रहा हूँ मैं गुरुवर, अब तक थे अनजान,
धीरे-धीरे हो रही, अब खुद से पहचान.. गुरुजी …
अब खुद से पहचान….
आया गुरुजी तेरे चरणों में, अब मिला शरणाधार,
जब मिल जाती है शरण, तो होवे भव पार… गुरुजी…
तो होवे भव पार…।
जीवन की इस यात्रा को, मिल गया अंजाम,
जग में आने का कैसे, पूर्ण हुआ सब काम… गुरुजी… ।
पूर्ण हुआ सब काम…
हर पल… हर क्षण… याद करें, गुरुवर… तेरा प्यार…
यूँ अकेले… रह गए जैसे, पिता…बिना परिवार… गुरुजी…
पिता बिना परिवार…
आँख में आँसू आ गए, छोड़ के जा रहे आज,
यूँ ही रखना हे दयालु, सर पर दोनों हाथ… गुरुजी…
सर पर दोनों हाथ…
Name of Song : Doha
Language of Song : Hindi