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Aaye Hai Hum Teri Sharan, O Sadguru Parmaaatma,Charno Arpan Hai Ab Meri Yehi Yeh Aatma,(2)
Sanidhya Natha Jab Tera, Sansaar Bhara Inn Aankho Mei,
Jo Kch Paaya Iss Jag Se Guru Abhimaan Bhara Iss Mann Mei
Raho Ka Mujhe Gyaan Nahi, Mujko Meri Pehchaan Nahi,
Andhkaar Tha Jivan Mei, Dikhe Muje Yehi Roshni,
Sarva Samarpan Kar Diya Mene Karu Mei Teri Vandana
Aaye Hai Hum Teri Sharan O Sadguru Parmaaatma,Charno Arpan Hai Ab Meri Yehi Yeh Aatma....
Jo Dekho Tum Wo Dekh Saku Nazar Wo Guru Mere Paas Nahi
Na Pawanta Hai Mujmei Guru Saiyam Ka Abhyaas Nahi
Guru Sharan Mei Disha Mili, Preet Prabhu Charno Mei Lagi,
Sansaar Se Swakhi Odh Chali, Tuj Bin Kch Sambhava Hi Nahi,
Yug Diwakar Itni Kripa Kar, Chalti Rahe Yeh Saadhna..
Aaye Hai Hum Teri Sharan O Sadguru Parmaaatma,Charno Arpan Hai Ab Meri Yehi Yeh Aatma..
Janmo K Dukh Mitane Guruvar,Taraprahi Yeh Aatma,
Bhatak Raha Hu Bhav Bhav Se, Naa Jaaan Saka Jaaau Kaha,
Guru Mile Subh Karma Khile, Tujmei Mje Bhgwan Mile,
Chalna Hai Unn Raaho Par, Jaha Guru Tere Kadam Chale,
Shesh Ho Jivan Na Mite Kabhi, Aisa Gyaan Mei Paau Yha..
Aaye Hai Hum Teri Sharan O Sadguru Parmaaatma,Charno Arpan Hai Ab Meri Yehi Yeh Aatma..
Machdhari Mei Wo Jeeva Aatma, Guru Na Jiske Jivan Mei,
Mile Kirana Usko Kabhi, Bandhti Karmo K Bandhan Mei,
Bhul Kar Karu Mei Har Ghadi, Preet Kabhi Na Kum Ho Kabhi,
Mili Hai Muj Sadguru Ki Sharan, Lag Jaae Mujme Tujsi Lagan,
Tuhi Hamaraa Tuhi Sahaara, Choorh Sharan Hum Jaae Kaha,
Aaye Hai Hum Teri Sharan O Sadguru Parmaaatma,Charno Arpan Hai Ab Meri Yehi Yeh Aatma (3)
आये है हम तेरी शरण, ओ सद्गुरु परमात्मा, चरणों अर्पण है अब मेरी यही यह आत्मा। (२) सानिध्य नथा जब तेरा , संसार भरा इन् आँखों में , जो कुवह पाया इस जह से गुरु अभिमान भरा इस मन में, रहो का मुझे ज्ञान नहीं, मुझको मेरी पहचान नहीं, अन्धकार था जीवन में, दिखे मुझे एहि रौशनी, सर्व समर्पण कर दिए मेने करू में तेरी वंदना , आये है हम तेरी शरण, ओ सद्गुरु परमात्मा, चरणों अर्पण है अब मेरी यही यह आत्मा।। जो देखो तुम वो देख सकू नज़र वो गुरु मेरे पास नहीं , न पावनता है मुझमें गुरु सैयाम का अभ्यास नहीं , गुरु शरण में दिशा मिली, प्रीत प्रभु चरणों में लगी, संसार से स्वखि ओढ़ चली, तुज बिन कुछ संभव ही नहीं, युग दिवाकर इतनी कृपा कर, चलती रहे यह साधना.. आये है हम तेरी शरण, ओ सद्गुरु परमात्मा, चरणों अर्पण है अब मेरी यही यह आत्मा।। जन्मो के दुःख मिटाने गुरुवार, तरप रही यह आत्मा , भटक रहा हु भाव भाव से, न जान सका जाओ कहा, गुरु मिले सुबह कर्मा खिले , तुजिमे मुझे भगवन मिले , चलना है उन राहो पर , जहा गुरु तेरे कदम चले , शेष हो जीवन न मिठे कभी , ऐसा ज्ञान मैं पाउ यहाँ... आये है हम तेरी शरण, ओ सद्गुरु परमात्मा, चरणों अर्पण है अब मेरी यही यह आत्मा।। मछधारी में वो जीवा आत्मा, गुरु न जिसके जीवन में, मिले किनारा उसको कभी , बांधती कर्मो के बंधन में , भूल कर करू में हर घडी , प्रीत कभी न कम हो कभी , मिली है मुज सद्गुरु की शरण , लग जाए मुजमे तुजसि लगन , तुहि हमारा तुहि सहारा , छोड़ शरण हम जाए कहा , आये है हम तेरी शरण, ओ सद्गुरु परमात्मा, चरणों अर्पण है अब मेरी यही यह आत्मा।।(३)
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