भटकी रह्यां ता
भटकी रहां ता केटला भवो थी, गुरु ए अमने जगाडया छे,
ज्ञान अने कपा दृष्टिथी, आतम ना दर्शन कराळ्या छे…
साचु सुख तो, निजमा रहाुं छे, गुरु ए आ समजाव्युं छे…
गुरु ए आपणं, एक दर्पण छे, गुरु ने सर्व समर्पण छे…
गुरु ए आपणुं दर्पण छे, गुरु ने सर्व समर्पण छे…
केटलाय आतम ने दीक्षा आपी, मोक्षनो मार्ग बताव्यो छे…
तपसम्राट गुरुना चरणोने पामी, खुदने धन्य बनाव्या छे…
साचु सुख तो…
गुरु नी सेवा, गुरु नी भक्तिमां तो ज्ञान समायुं छे…
गुरु ना आ एहसास थी अमने, शिष्यनो अर्थ समजायो छे…
साचु सुख तो…
जिनशासननी गरिमा ने जेणे, जन जनमां फैलावी छे…
प्रभु महावीर ना पथ पर चालीने, अमने राह बताव्यो छे…
साचु सुख तो…
प्रभुनी आगमनी वाणीथी, अम साधक ने सवाय छे…
अम पत्थर ने प्रतिमा बनावी, तेना शरणमां स्वीकार्या छे…
वंदन छे आवा गुरु ना चरणोमां, जे भगवान अमारा छे
साचु सुख तो…
गुरु ए आपणु दर्पण छे, गुरु ने सर्व समर्पण छे…
Name of Song : Bhatki Rahya Ta
Language of Song : Gujarati
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