वितराग तुज पाए पड़ी
वीतराग तुज पाए पड़ी, हुँ करुं विनंती एटली,
साधु नो वेश क्यारे मळे, माँगु प्रभु बस एटलं,
कुमकुम तणा ते छांटणा, केसर तणा ते साथीया
रजोहरण क्यारे मळे, माँगु प्रभु वस एटलु…
जे मार्ग पर आरुढ थई, तीर्थकरो पण चालता
जे मार्ग चे सुरलोकना, देवो सदा ए झंखता
जे मार्ग ने ग्रहीने, अनंता जीव सिध्धि पामता
एपरम संयम धर्म ने, होजो सदा मुज वंदना
जे मार्ग नो महिमा वदे, तीर्थकरो निज वाणी मां
जे मार्ग नो महिमा गुंथे, श्री गणधरो निज ज्ञान मां
जे मार्ग नो महिमा कहे, सह मुनिरो उपदेशमां
एपरम संयम धर्म ने होजो सदा मुज वंदना
आराधनानुंअवतरण,आनंदनुं वहेतुं झरण
सावद्य सगळी पाप करणीओ तणु ज्या विस्मरण
मारा प्रभुती जीवनशैलीनुंध (ज ज्या छे अनुसरण
भय मुक्त भावे, युक्त ते, चारित्र पद ने वंदना
रहे भाव मनमां विरती नो, प्रभु एव्ं सत मने आपजे
मुख मां रटन नमो लोए सव्च साहूणं नुं आपजे
शणगार काया पर श्रमण ना वेशनुं मने आपजे
बने मुक्त भवयी आत्मा, वरदान एवुं आपजे
सो क्रोड श्रमणो धन्य छे, सांनिध्य माणे छे सतत
सो क्रोड श्रमणी धन्य छे, साधे सतत निर्वाण पथ
क्यारेक तो हे नाथ तारो, हाथ मुज माथे फरे
क्यारेक तुज हाथे मने, रजोहरण प्रभु सांपड़े
तारो हाथ मुज माथे फरे मने रजोहरण प्रभु सांपडे
Name of Song : Vitraag Tujh Paaye Padi
Language of Song : Hindi
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